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विकास / पतन EVOLUTION / DEVOLUTION
मानव प्रगति जिज्ञासा से शुरू होती है जो ज्ञान और अनुभव तक पहुंचती है। लेकिन आधुनिक समय इस सार्थक यात्रा को सिर्फ सूचना उपभोग से बदल रहा है—जिससे हम आगे की बजाय पीछे जा रहे हैं। क्या हम जिज्ञासा खो देंगे तो पिछड़ जाएंगे—बंदर जैसी अवस्था में लौट जाएंगे? क्या हम विकास के बजाय पतन के युग में प्रवेश कर रहे हैं? Human progress depends on curiosity leading to knowledge and experience, but modern times are replacing this meaningful journey with mere information consumption—potentiall
Jigar Patel
Nov 294 min read


सनातन/ Eternal
हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख, ये सब व्यावहारिक धर्म हैं, जो मनुष्यों द्वारा बनाया गया। मनुष्य जो चेतना पर धारण करे(प्रेम, करुणा, दया, डर, क्रोध, मोह, लोभ, मद, मात्सर्य, बुद्धि, मन, चित्त, अहंकार), वह धर्म है। और जो मनुष्य अपने और दूसरों के कल्याण के लिए धर्म धारन करे वो धर्मवान, और जो मनुष्य अपने और दूसरों का बुरा (अहित) करने के लिए धर्म धारन करे वो अधर्मवान, यही धर्म और अधर्म है , बस सिर्फ और सिर्फ यही 'सनातन' है Hindu, Muslim, Christian, Sikh, these are all practical religions
Jigar Patel
Nov 181 min read


मनु पुत्र
Thinking, reflecting, and contemplating are natural duties (dharma) of humans. A human who spends time in good actions and positive thoughts is a 'dev' (divine), while one who spends time in negative thoughts and wrongful actions is a 'danav' (demonic or self-centered) सोचना, मनन करना और चिंतन करना मनुष्य का प्राकृतिक धर्म है। जो मनुष्य अच्छे कार्यों और सकारात्मक विचारों में समय बिताता है वह "देव" कहलाता है, और जो बुरे विचारों और गलत कर्मों में समय व्यतीत करता है वह "दानव" हो
Jigar Patel
Nov 11 min read
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